Sunday, April 10, 2011

जारी रहेगा अन्ना का अनशन

९ अप्रैल २०११ के पहले तक ७२ वर्षीय अन्ना हजारे को भारत में जाननेवाले लोगों की संख्या बहुत ज़्यादा नहीं रही होगी,  जब अन्ना हजारे ने  भूखे रहते हुए अनशन की घोषणा की उसके तुरंत बाद पूरे देशवासियों में जंगल के आग की तरह यह ख़बर फैलने लगी थी की अन्ना हजारे ७२ वर्षीय वृद्ध पुरुष हैं जिन्होंने करप्सन  और करप्सन  में लिप्त सरकार के ख़िलाफ़ जंग का एलान किया है. १२१ करोड़ के आबादी वाले इस देश में अन्ना हजारे के अनशन को समर्थन करनेवाले लाखों लोगों को यह भी पता नहीं होगा की ड्राफ्टिंग बिल कमिटी क्या करेगी और लोकपाल बिल बनने से आम जनता को क्या फ़ायदा होगा, लेकिन लोगों के समर्थन के पीछे एक ही ज़ज्बा कायम रहा की इससे करप्सन ज़रूर कम होगा. अन्ना हजारे के अनशन के दौरान देशवासियों में कमाल का जोश देखा गया, इलेक्ट्रोनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया से  निरंतर इस ख़बर का अपडेट मिलता रहा की सरकार इस विषय पर कितनी गंभीर है, अन्ना हजारे के प्रतिनिधियों की सरकार से आज क्या बातचीत हुई है बातचीत का क्या नतीज़ा निकला और मीटिंग कितनी सफल रही. 
                           अन्ना हजारे के अनशन के दूसरे दिन जब मैं अपने दफ्तर पहुंचा और उसके बाद अपने एक मित्र से अन्ना के बारे में उनकी व्यक्तिगत राय मांगी तो मेरे मित्र का जवाब था अन्ना हजारे ७२ साल के एक नौयुवक हैं और हम और आप २८ साल के वृद्ध पुरुष हैं यह कहते हुए उनके चेहरे पे कमाल की रौनक नज़र आ रही थी ऐसा लगा की जैसे मेरे मित्र मेरे साथ मेरे दफ्तर में काम कर रहे हैं लेकिन उनकी आत्मा हजारे को समर्थन देने के लिए जंतर मंतर दिल्ली में  विराजमान है. अनशन के दूसरे दिन ही मेरे एक दूसरे मित्र का फ़ोन आया उन्होंने कहा मैं अपनी  कंपनी के स्टाफ से बात कर रहा हूँ की हम सारे स्टाफ मिलकर अलग-अलग जगहों पर हस्ताक्षर मुहीम चलाएंगे और उस बैनर को दिल्ली तक पहुचाएंगे सरकार को आभाश दिलाएंगे की इस लड़ाई में अन्ना अकेले नही हैं मेरे मित्र के इस बात से मुझे लगा की पूरे भारत के लोग अलग- अलग माध्यम से अपना समर्थन अन्ना तक पहुचाने के लिए बेचैन हैं . अनशन के तीसरे दिन सुबह ९ बजे मेरे एक मित्र  जो की फार्मा सेक्टर में नौकरी करते हैं उनका फ़ोन आया उन्होंने कहा क्या आपको पता है की  दिल्ली में इस वक़्त अन्ना हजारे करप्सन के खिलाफ भूखे रहकर अनशन कर रहे हैं जवाब में मैंने कहा हाँ मुझे पता है तो आगे उनका कहना था की जो भी हो रहा है वह बहुत अच्छा हो रहा है और हजारे का आन्दोलन सही दिशा में जा रहा है आप देखिएगा बहुत बड़ा बदलाव होने वाला है. अन्ना हजारे के इस अनशन को समर्थन देने वाले लोगों में हम और आप जैसे करोड़ों नौयुवक. वृद्ध. पुरुष.महिलाएं और बच्चे शामिल थे जिनकी दो या तीन पीढियां आज भारत की आज़ादी के ६३ साल गुजर जाने के बाद तक मूक दर्शक बने रहकर करप्सन के बेतहाश दर्द को महसूस किया है.
                       २५ साल पुराना बोफोर्स घोटाला मामला, १९८४ सिख कत्लेआम, भोपाल गैस कांड, बाबरी मस्जिद डेमोलीसन, गोधरा कांड, टूजी स्पेक्ट्रुम घोटाला, आदर्श घोटाला, अब्दुल करीम तेलगी स्टंप पेपर घोटाला, कंधार हवाई जहाज़ अपहरण मामले में सरकार की लापरवाही ऐसे बहुत सारे मुद्दे हैं जो पूरे देशवासियों को सोचने के लिए मजबूर करते है की हमारी सरकार की ऐसी कौन सी  मजबूरियां हैं जिनके कारण सरकार को ऐसे मुदों को एक लम्बे अरसे तक ढोना पड़ रहा है, किसी भी मामले के निर्णय में देश की जनता को इतना लम्बा इंतजार क्यों करना पड़ता है. बेरोजगारी, गरीबी और बढती हुई महंगाई वाले इस देश में जनता चौतरफा मार झेल रही है. अन्ना हजारे के अनशन को समर्थन दे रहे लोगों में देश की सम्पूर्ण आबादी का आक्रोश नज़र आया है. जब तक हमारे देश की सरकार अपने काम काज में पारदर्शिता नहीं लाएगी, सरकार को हर बार इस तरह के आन्दोलन से रूबरू होना पड़ेगा. सरकार को बार-बार कानून में शंशोधन करना पड़ेगा, बार-बार होनेवाले शंशोधन से संविधान की गरिमा भी कम होगी. जब तक सरकार देश के उपरी स्तर से लेकर सबसे निचे के स्तर तक काम करने में पारदर्शिता नहीं दिखाएगी इस तरह के अनशन का दौर चलता रहेगा सिर्फ़ अनशन का रूप स्वरुप बदल जायेगा. अनशन के कई रूप होते है जो अलग-अलग जगह पर अलग-अलग स्वरुप में नज़र आते है. हाल के दिनों में टुनिशिया और लीबिया में जो हुआ वो भी एक अनशन का खुनी रूप था. अन्ना हजारे अपने अनशन के दौरान हमेशा एक बात को दुहराते रहे की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बहुत ईमानदार नेता हैं, लेकिन उनके मंत्रिमंडल में बहुत सारे दागदार नेता हैं जिनको बदलने की जरूरत है. ऐसे में सरकार को ध्यान देना चाहिए की सरकार उन सारी बातों पर गौर करे जो की  देश की जनता को मंजूर ना हो.अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो अन्ना हजारे के इस देश में बहुत सारे लोगों के दिमाग में अन्ना हजारे पनप रहे हैं. गौरतलब है की सरकार मौजूदा समय में जब एक अन्ना का अनशन नहीं झेल पा रही है तो जब हजारों अन्ना, सरकार और हुकुमरान के खिलाफ़ प्रदर्शन करेंगे तो सरकार अपनी शाख कैसे बचाएगी देखते रहिये जब तक सरकार और हुकुमरानो के कामकाज में पारदर्शिता नहीं आएगी ऐसे अनशन का दौर चलता रहेगा.

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